Not known Facts About hindi story
Not known Facts About hindi story
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माँ को अपने बेटे, साहूकार को अपने देनदार और किसान को अपने लहलहाते खेत देखकर जो आनंद आता है, वही आनंद बाबा भारती को अपना घोड़ा देखकर आता था। भगवत-भजन से जो समय बचता, वह घोड़े को अर्पण हो जाता। वह घोड़ा बड़ा सुंदर था, बड़ा बलवान। उसके जोड़ का घोड़ा सारे सुदर्शन
उस दिन बड़े सवेरे जब श्यामू की नींद खुली तब उसने देखा—घर भर में कुहराम मचा हुआ है। उसकी काकी उमा एक कंबल पर नीचे से ऊपर तक एक कपड़ा ओढ़े हुए भूमि-शयन कर रही हैं, और घर के सब लोग उसे घेरकर बड़े करुण स्वर में विलाप कर रहे हैं। लोग जब उमा को श्मशान सियारामशरण गुप्त
साधु की पुत्री - हितोपदेश की प्रेरक कहानियां
ढोलू-मोलू दो भाई थे। दोनों खूब खेलते, पढ़ाई करते और कभी-कभी खूब लड़ाई भी करते थे। एक दिन दोनों अपने घर के पीछे खेल रहे थे। वहां एक कमरे में बिल्ली के दो छोटे-छोटे बच्चे थे। बिल्ली की मां कहीं गई हुई थी , दोनों बच्चे अकेले थे। उन्हें भूख लगी हुई थी इसलिए खूब रो रहे थे। ढोलू-मोलू ने दोनों बिल्ली के बच्चों की आवाज सुनी और अपने दादाजी को बुला कर लाए।
हेमंत सोरेन और के. कविता पर आए सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के निचली अदालतों के लिए क्या मायने हैं?
रास्ते में उसे गोलू के जेब से गिरी हुई टॉफी मिल गई। रानी के भाग्य खुल गए। उसे भूख लग रही थी और खाने को टॉफी मिल गया था। रानी ने जी भर के टोपी खाया अब उसका पेट भर गया।
अगर कबरी बिल्ली घर-भर में किसी से प्रेम करती थी तो रामू की बहू से, और अगर रामू की बहू घर-भर में किसी से घृणा करती थी तो कबरी बिल्ली से। रामू की बहू, दो महीने हुए मायके से प्रथम बार ससुराल आई थी, पति की प्यारी और सास की दुलारी, चौदह वर्ष की बालिका। भंडार-घर भगवतीचरण वर्मा
Impression: Courtesy Amazon Penned by Agyeya, the pen title of Satchidananda Hirananda Vatsyayan, this Hindi fiction guide was originally published in 1940. The novel is actually a pioneering operate and is considered a landmark in Hindi literature. Agyeya, an influential figure from the Chhayavaad movement, delivers to lifestyle the tumultuous journey with the here protagonist, Shekhar, via various phases of his daily life. The novel explores Shekhar’s evolution from a carefree and idealistic youth to the experienced unique grappling With all the complexities of life.
सिंह राज ने देखते ही देखते सभी सियारों को खदेड़ दिया। जिसके कारण उसके मित्र सुरसिंह की जान बच सकी
उन हिरणियों के पैरों से विशाल को चोट लगी, वह रोने लगा।
शेरू बहुत खुश हुआ उस रोटी को लेकर गाड़ी के नीचे भाग गया। वहीं बैठ कर खाने लगा।
दुर्भाग्य से इस कहानी की अब तक की गई चर्चा सिर्फ़ इसके कथ्य यानी एक गहरे भावुक प्रेम की त्रासद विडंबना के ही संदर्भ में की गई है और जिसका आधार लहना सिंह और उसकी प्रेमिका के बीच के इस संवाद तक हमेशा समेट दिया जाता है :
मोरल – संत की संगति में दुर्जन भी सज्जन बन जाते हैं।
अँधियारे गलियारे में चलते हुए लतिका ठिठक गई। दीवार का सहारा लेकर उसने लैंप की बत्ती बढ़ा दी। सीढ़ियों पर उसकी छाया एक बेडौल फटी-फटी आकृति खींचने लगी। सात नंबर कमरे से लड़कियों की बातचीत और हँसी-ठहाकों का स्वर अभी तक आ रहा था। लतिका ने दरवाज़ा खटखटाया। निर्मल वर्मा